कल रात सपने में,
मुझे नेता जी सुभाष चन्द्र बोश मिले ,
उनका चरण राज लेकर हम खिले ,
मैंने पूछा नेता जी आप इतने दिनों तक कहा रूपोश थे ,
क्रांतिकारी होते हुए भी आप खामोश थे ,
देखते नहीं दिनों दिन मुल्क की बिगड़ रही सूरत है ,
आज देश को आपकी शख्त जरूरत है ,
आप जल्दी से बहार आ जाईये ,
एक नई पार्टी बनाइये और चुनाव लड़ जाइयेनेता जी बोले सुरेश ,
भाई गर मै इस मुल्क में बाहर चला आता तो,
गाँधी की तरह सीने में गोली और समाधी पर गाली खाता ,
या फिर लोहिया कृपलानी की तरह चुनाव हार जाता ,
और जो लोग मुझे गाली देते या मेरी समाधी को जूतों रौंदते ,
वे या तो किसी सूबे के मुख्यमंत्री होते ,
या फिर प्रधानमंत्री बनने का सपना संजो रहे होते,
बच्चा इसीलिए मै खामोश था ,
क्रांतिकारी हुए भी आज तक रूपोश था
1 comment:
wonderful poem shukla ji
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