Wednesday, December 30, 2015

 "नव वर्ष २०१६ "

पूरा वर्ष तुम्हारे नाम
समय शिला  तो तुम्हे प्रणाम
सम्बन्धी की सुमधुर थाती,
तन का दीपक मन की बाती
नित नव जल करे अविराम ,
पूरा वर्ष तुम्हारे नाम
समय शिला तो तुम्हे प्रणाम

वर्ष नया नव स्वप्न सजोये
अवरोधों को गंगा धोये ,
गीता , वेद कुरान की साख
बची रहे न होए राख

हम अर्जुन , तुम बनो तो श्याम
मै भी जीता रहू अनाम
पूरा वर्ष तुम्हारे नाम, समय शिला हो तुम्हे प्रणाम
समय शिला हो तुम्हे प्रणाम

नव वर्ष २०१६ की हार्दिक बधाई ........

"सुरेश मोकलपुरी "

         " साहित्य "

हादसों में गुम होता हुआ शहर
लालटेन की बुझती रौशनी में
छुपा गाँव
मवाद भरे फोड़े को सहलाते लोग
धरती से मिला आकाश ,
आकाश से मिली धरती तो .......
कब का लिखा जा चूका है
अब खून से सनी धरती ,
लपटों पर टिका आकाश ,
लिखा जाना है
घुप्प अँधेरा
बिना रौशनी क लिखते लोग
इससे ज्यादा क्या लिखेंगे ...........


"सुरेश मोकलपुरी "