Monday, December 19, 2011

इक्कीसवी सदी आई है ........

हाथों में छाले है , पैरों में बिवाई है
देखना ये है की क्या इनके लिए भी इक्कीसवी सदी आई है ........
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संविधान सिगरेटे है , लोकतंत्र दियासलाई
सत्ता काश और संसद स्ट्रे
नेता पीते है , गुल झाड़ते
स्ट्रे भरता है , और फ़ेंक दिया जाता है
जनता के बीच जो तम्बाकू की फसल उगाता है ...
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लाल किले की प्राचीर से जब मैंने अपनी दृष्टि नीचे दौड़ाई
तो जम्हूरियत की शक्ल एक मरियल गाय सी नजर आयी
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