Wednesday, May 30, 2018

"दंगा का काव्य शास्त्र"


"दंगा का काव्य शास्त्र"
'लोक' नही
'
तन्त्र' दंगा कराता है
लोक को भड़काता है
लाशों की गिनती
आंकड़ो में दर्ज कराता है
'
तन्त्र' जानता है कि
'
लोक' तभी ठीक-ठाक रहेगा
जब दंगा होगा,
खून बहेगा
धुआँ उठेगा
'
लोक' जलेगा
'
तन्त्र' का फायर बिग्रेड आयेगा
'
लोक' की लाश बुझाएगा
मलवे में दबी, लोक की लाश
निकाली जायेगी
खास-खास लोगों की
शिनाख्त भी करायी जायेगी
आम लाशें इधर-उधर की जायेंगी
क्षति-पूर्ति के लिये
एक-एक लाश पर कई अर्जियाँ गिरेंगी
बाकायदा सरकारी पंचायत होगी
विधायक,सांसद,नेता आयेंगे,
दरोगा-पटवारी मुआवजा बटवांयेगे,
तन्त्रालय का कोई बड़ा तंत्री आएगा
जो सफेद कुरते पायजामें में होगा
सदरी,साल,स्वेटर
एक हेलीकाप्टरी टीम भी होगी
एक छोटा सा भाषण होगा,
दो-चार चमचे रहेंगे,
जिन्दा मुर्दाबाद कहेंगे
'
लोक' मौन रहेगा
'
तन्त्र' पोस्टमार्टम का नाटक करेगा
कई टुकड़ों में कटा 'लोक'
गठरी में बंधेगा
तन्त्र के कारिन्दो को
इन्तजार रहेगा,
फिर ऐसे ही दंगों का ।।


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