Wednesday, December 30, 2015

         " साहित्य "

हादसों में गुम होता हुआ शहर
लालटेन की बुझती रौशनी में
छुपा गाँव
मवाद भरे फोड़े को सहलाते लोग
धरती से मिला आकाश ,
आकाश से मिली धरती तो .......
कब का लिखा जा चूका है
अब खून से सनी धरती ,
लपटों पर टिका आकाश ,
लिखा जाना है
घुप्प अँधेरा
बिना रौशनी क लिखते लोग
इससे ज्यादा क्या लिखेंगे ...........


"सुरेश मोकलपुरी "

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