जो ग़ज़ल माशूक के जलवों से वाकिफ हो गई
उसे बेवा की माथे की शिकन तक ले चलो ............
ग़ज़ल की नई परिभाषा देने वाले अदम गोंडवी साहब आज हमारे बीच नहीं है , लेकिन उनकी कलम से निकले हुए अल्फाज आज और आने वाले दिनों में भी हमें एक नई राह दिखाते रहेंगे.....
२५ सालो की मित्रता और साहित्यिक मार्गदर्शन , परिवार के हर शख्स से उनका लगाव उनकी कमी महसूस करता रहेगा.......
"सुरेश मोकलपुरी
2 comments:
Jism kya Rooh tak sab kuch khulasa dekhiye....
Aap Bhi is bheed me ghusakar tamasha dekhiye...
"Adam Gondvi" ji ki shradhaanjali
जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे
कमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे
ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर
मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे
सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे
वो अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे
adam gondvi ji shradhaanjali
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